आप जैसा अपने बारे में सोचेंगे आपका व्यक्तित्व वैसा ही बन जाएगा
आप जैसा अपने बारे में सोचेंगे आपका व्यक्तित्व वैसा ही बन जाएगा. अधिकतर लोगों का व्यवहार उलझनो से भरा होता है. क्या आपने कभी सोचा की कोई दुकानदार एक ग्राहक को इज्जत क्यों देता है. आकर्षण का सिद्धांत समझ कर हम अपने जीवन में किसी भी चीज को अपनी और आकर्षित कर सकते हैं i जबकि वह दूसरे ग्राहक को नजर अंदाज कर देता है ? कोई व्यक्ति एक महिला के लिए दरवाजा खोल देता है, जबकि दूसरी महिला के लिए नहीं खोलता ?
हम किसी व्यक्ति की बात को ध्यान से क्यों सुनते है, जबकि दूसरे व्यक्ति की बातों को अनसुनी कर देते हैं ? अपने चारों ओर देखें. आप देखेंगे कि बहुत से लोगो को “हे,
राजीव ” या ” और, यार ” कहकर बुलाया जाता है, और कई लोगों से महत्वपुर्ण ” यस, सर” कहा जाता है. देखिए. आप पाएंगे कि कुछ लोगों को एहमियत, वफादारी और तारिफ मिलती है जबकि बाकी लोगों को ये सब चीजें नहीं मिलतीं.
और नजदीक से देखने पर आप पाएंगे की जिन लोगों को सबसे ज्यादा सम्मान मिलता है वे सबसे ज्यादा सफल भी होते है. इस बात का कारण क्या है ? अगर मात्र एक शब्द मै इस का उत्तर दिया जाए तो इसका कारण है- सोच (Thinking ).
हमारी सोच के कारण ही ऐसा होता है. दूसरे व्यक्ति भी हममें वही देखते है, जो हम अपने आपमें देखते और सोचते है. हमें उसी तरह का भाईचारा, व्यवहार , मिलता है जिसके काबिल हम खुद को समझते हैं. सोच के कारण ही सारा फर्क पडता है
वेसे आदमी जो खुद को हीन समझते है, चाहे उनकी योग्यताए कितनी ही क्यों न हों, वे हीन ही बनें रहेंगे. आप जैसे सोचते, विचारते है वैसा ही काम करते हैं. और वैसे ही हो जाते है. चाहे वह अपनी हीनता छुपाने का कितना भी प्रयास करे, यह मुलभूत भावना लंबे समय छुप नहीं सकती. जो व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण नहीं है, वह सचमूच महत्वपूर्ण नहीं होता. ठीक दूसरी तरफ, वह व्यक्ति जो यह सोचता है कि वह कोई काम कर सकता है, तो वह सचमुच उस काम को कर लेगा .
महत्वपूर्ण बनने के लिए यह सोचना, समझना जरुरी है कि मैं महत्वपूर्ण हू. सच में ऐसा सोचें. तभी दूसरे लोग भी हमारे बारे में ऐसा सोचेंगे इस तर्क को ठीक से पढ़ें. आप क्या सोचते है, इससे तय होता है कि आप कैसा काम करते हैं. आप क्या करते हैं इससे तय होता है – दूसरे आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं.
दूसरे लोगों का सम्मान पाने के लिए आपको सबसे पहले तो यह सोचना होगा की आप उस सम्मान के काबिल हैं. और आप अपने आपको जितने सम्मान के काबिल समझेंगे, दूसरे लोग आपको उतना ही सम्मान देंगे. इस सिध्दांत का प्रयोग करके देख लें. क्या आप के दिल मै कभी किसी गरीब या असफल व्यक्ति के लिए सम्मान देखा हैं. हा आपको दया आ सकती है लेकिन सम्मान नहीं. क्यों ?
क्योकिं वह गरीब या असफल व्यक्ति खूद का सम्मान नहीं करता. वह आत्म-सम्मान के अभाव में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है. आत्म सम्मान हमारे हर काम में साफ दिख जाता है. इसलिए हमें इस तरफ ध्यान देना होगा कि हम किस तरह अपना आत्म सम्मान बढा सकते हैं और दूसरों से सम्मान हासिल कर सकते हैं.
और इस सब के लिए जरुरी हैं की आप अपने बारे में सकारात्मक सोचे. फिर धीरे-धीरे आपका जीवन बदल जाएगा.
आकर्षण का सिद्धांत के बारे में आपने इस जानकारी को हो सकता है पहली दफा हो इसलिए आपको यह गलत लग रहा हो लेकिन यह सच है. के इस लेख( Articles) को पढ़कर आप अपनी सोच को बदले तो अपना जीवन खुद बा खुद बदलने लगेगा.
Mind blowing A Super Duper post i like it .
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