शारीरिक हाव-भाव का प्रभाव
Body language का सफलता में होता है अहम role
हर व्यक्ति के जीवन पर आनुवंशिकता एवं वातावरण का प्रभाव तो अवश्य पड़ता है लेकिन इसके साथ ही यदि वह चाहे तो वह स्वयं भी बहुत सी खूबियां अपने में विकसित कर सकते है। आप ने कभी न कभी यह महसूस किया होगा कि कुछ लोगों के साथ बात करने में कुछ ज्यादा ही आनन्द आता है।
मुस्कुराता हुआ चेहरा हर किसी को भाता है। चेहरे पर मुस्कुराहट आखों में चमक जैसे body language खुशमिजाजी तो दिखाती है साथ ही आप से मिलने वाले को भी खुश कर देती है। मुस्कुराने में कुछ नहीं जाता लेकिन इससे कई बातों का मूल्यांकन किया जा सकता है। जिस तरह साफ़ – सुधरा पहनावा सुरुचि का परिचायक होता है उसी प्रकार अच्छा body language आप की सफलता का परिचायक बन सकता है।
क्या होता है body language –
आप सब ने देखा होगा players, students, politician या फिर youngsters को दो उंगलियों को ऊपर उठाते हुए। आप बिना उनके कुछ बोले ही समझ जाते है कि उनका कहना है ‘हम जीत रहें हैं’ या ‘हम जीतेंगे’। एक प्रकार से ये लोग body language का प्रयोग करते है अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए।
Body language दरअसल शारीरिक संकेतों और भावभंगिमाओं की भाषा है और यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि बोलने के लिए शब्दों का इस्तेमाल करना।
मैं teacher हूँ और students को पढ़ाने में body language का बखूबी इस्तेमाल करती हूँ। जब मैं student से पूछती हूँ कि topic समझ में आया या नहीं तो student topic समझ में न आने पर यदि झूठ बोलता है तो मैं उनके body language से उनका झूठ पकड़ लेती हूँ क्योंकि student मुंह से तो ‘ हाँ ‘ बोलता है लेकिन ठीक उसी समय उसका सिर ‘ न ‘ की मुद्रा में हिल रहा होता है।
Body language समझना भी एक कला –
• आमतौर पर जब लोग interview देने जाते है तो उनकी सफलता पूछे गए सवालों के सही जवाबों से ज्यादा उन्हें व्यक्त करने के ढंग पर निर्भर करती है। कभी – कभी ऐसा भी होता है कि लिखित परीक्षाओं में अच्छे खासे number पाने वाले interview में fail हो जाते है। दरअसल ऐसे लोगों में self confidence की कमी होती है जो उनकी body language से जाहिर हो जाती है। इसलिए एक बात का ध्यान रखे interview में सफलता सही जवाबों से अधिक उन्हें व्यक्त करने के ढंग पर निर्भर करती है। Interviewer आपकी भावभंगिमाओं आदि से ही लियाकत का पता लगा लेते है।
• बोलने वाला वही वक्ता सफल होता है जो सुनने वालों का मूड भांप ले और उसी मुताबिक confidence के साथ बोले। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के बारे में कहा जाता है कि वह पहले से कभी तय नहीं करते थे कि किसी function में क्या सुनाएंगे। वह मंच पर बैठकर श्रोताओं का मूड समझने के बाद ही तय करते थे।
• Body language में आंखें सबसे महत्वपूर्ण होती है। दो लोगों के बीच के संबधो को सबसे बेहतर ढंग से आंखें ही व्यक्त करती है। सच तो ये है कि दो लोग एक दूसरे से जितना कुछ कहते है उससे 10 – 20 गुना ज्यादा वे आंखों के हावभाव के जरिए कह देते है। यह बिल्कुल भी जरुरी नहीं होता है कि जब दो लोग एकदूसरे को हाथ के इशारे से या जबान से अभिवादन करें, तभी अभिवादन सम्पन्न हो क्योंकि कई बार आंखें ही किसी का अभिवादन कर लेती है चाहे वह व्यक्ति मुंह से कुछ बोले या न बोले।
• कभी – कभी जब हम कुछ बोलते है तो वह तब तक दूसरे की समझ में नहीं आता जब तक कि हमारे शरीर के विभिन्न हावभाव भी साथ – साथ ही उस बोले हुए शब्द का अभिनय के जरिए एक प्रारूप न तैयार करें और उसकी एक तसवीर साथ में न गढ़ दें क्योंकि आमतौर पर माना जाता है कि दिमाग कोई चीज तभी ग्रहण करता है जब उसकी एक picture बनती है। इसलिए जब भी हम कोई शब्द बोलते है तो तुरंत हमारे जेहन में उसकी एक picture बन जाती है। हम बातचीत के दौरान उसी picture के अनुसार बोलने की कोशिश करते है।
Body language के प्रभाव का अंदाजा हम इस बात से भी लगा सकते है कि जब हम तकनीकी रूप से कहते है कि फलां के कहने का मतलब यह है तब हम दरअसल यह कह रहे होते है कि हम अमुख व्यक्ति के शारीरिक हावभाव का यह निष्कर्ष निकाल रहे है।
आमतौर पर हावभाव को समझने की क्षमता हर व्यक्ति में होती है लेकिन इसका स्तर सब लोगों में अलग – अलग होता है। जो व्यक्ति किसी के बोले बिना बस उसके हावभाव से उसकी अनकही बातों को समझ लेता है वह व्यक्ति अपने जीवन या career में भी सफल होता हैI
पढ़ने के लिए धन्यवाद।
Bahut hi badhiya hai
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