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Showing posts from March, 2021

Top 10 penny stocks in 2024

  Top 10 Penny Stocks in 2024 Penny stocks are typically associated with companies that have small market capitalizations, limited liquidity, and higher volatility. It's essential to conduct thorough research and consider consulting with a financial advisor before investing in penny stocks. Additionally, the performance of penny stocks can fluctuate significantly, and what may seem like a promising investment today could become highly volatile or even worthless in the future. That said, I can provide a list of penny stocks that have shown potential in 2024 based on various factors such as market trends, industry performance, and company developments. However, please remember that investing in penny stocks carries inherent risks, and these suggestions should not be considered as financial advice.  What are Penny Stocks? Penny stocks, typically defined as stocks trading at a low price per share, often garner attention from investors seeking high-risk, high-reward opportunities. These

A Story Can Change Your Life Style

  A Story  Can Change Your LifeStyle   दो ऐसी सत्य कथाऐं जिनको पढ़ने के बाद शायद आप भी अपनी  ज़िंदगी जीने का अंदाज़ बदलना चाहें:- पहली दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद ऐक बार नेल्सन मांडेला अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ एक रेस्तरां में खाना खाने गए। सबने अपनी अपनी पसंद का खाना  आर्डर किया और खाना आने का इंतजार करने लगे।  उसी समय मांडेला की सीट के सामने वाली सीट पर एक व्यक्ति अपने खाने का इंतजार कर रहा था। मांडेला ने अपने सुरक्षा कर्मी से कहा कि उसे भी अपनी टेबल पर बुला लो। ऐसा ही हुआ। खाना आने के बाद सभी खाने लगे, वो आदमी भी अपना खाना खाने लगा, पर उसके हाथ खाते हुए कांप रहे थे। खाना खत्म कर वो आदमी सिर झुका कर रेस्तरां से बाहर निकल गया। उस आदमी के जाने के बाद मंडेला के सुरक्षा अधिकारी ने मंडेला से कहा कि वो व्यक्ति शायद बहुत बीमार था, खाते वख़्त उसके हाथ लगातार कांप रहे थे और वह ख़ुद भी कांप रहा था।  मांडेला ने कहा नहीं ऐसा नहीं है। वह उस जेल का जेलर था, जिसमें मुझे कैद रखा गया था। जब कभी मुझे यातनाएं दी जाती थीं  और मै कराहते हुए पानी मांगता था तो ये मेरे ऊपर पेशाब करता था। मांडेला

Taste A Cup of Coffee Relaxed

                                 Thank you

Wife Husband

                                                                           Thank you

Burden of Relationship

                                                                      THANK YOU

Happy Holi

                              Thank You

Most Welcome

                                 THANK YOU

Dil ki awaz

                                        Thank you 

WORK IS BETTER THAN THINK

 

दो रास्ते

            दो रास्ते हर एक व्यक्ति को  परमात्मा सुबह दो रास्ते देते है 👉उठिए और अपने मनचाहे       सपने पुरे कीजिये । 👉सोते रहिये और मनचाहे       सपने देखते रहिये ।  ज़िन्दगी आपकी... फैसला आपका... 🌴🌹🌷 🌷🌹🌴 🌴🌷आपका दिन शुभ हो 🌷🌴

sada khus rahiye

 

BEST THOUGHT

 

ऑनलाइन क्लासेस

  ऑनलाइन क्लासेस में टीचर ने बच्चों को कोरोना पर निबन्ध लिखने को बोला ।  एक बच्चे को सबसे ज्यादा नम्बर मिले उसका निबन्ध आप भी पढ़िए व आनंद  ले ।  कोरोना एक नया त्यौहार है जो होली के बाद आता है । इसके आने पर बहुत सारे दिन की छुट्टियां हो जाती हैं । सब लोग थाली और ताली बजाकर और खूब सारे दिए जलाकर इस त्यौहार को शुरु करते हैं । हमारे देश का प्रधान मंत्री सवसे पहले थाली बजाता है । स्कूल और ऑफिस सब बंद हो जाते हैं, सब लोग मिलकर घर पर रहते हैं । मम्मी रोज़ नये फ़ूड बनाकर फेसबुक पर डिस्प्ले करती हैं । पापा बर्तन और झाड़ू पोछा करते हैं । कोरोना का त्यौहार मास्क पहन कर और नमस्ते करके मनाया जाता है । उसके अलावा एक कड़वा काढ़ा पीना भी ज़रुरी होता है,  इस त्यौहार में नए कपडे़ नहीं पहने जाते । पापा कच्छा और बनियान पहनते हैं और मम्मी गाउन पहन कर ही इस त्यौहार को सेलिब्रेट करती हैं। इस त्योहार में हाथो को दिन में 10/20,बार धोना पडता है सेनिटाईजर किया जाता है। गर्म पानी का गारगिल ओर भाप भी लेना होता है बाकि त्यौहारो मे गले मिलना हाथ मिलाकर सेलिब्रेट किये जाते है लेकिन इस त्योहार मे एक दूसरे से दूरी बनाकर

शबरी के पैरों की धूल

  शबरी के पैरों की धूल शबरी एक आदिवासी भील की पुत्री थी। देखने में बहुत साधारण, पर दिल से बहुत कोमल थी। इनके पिता ने इनका विवाह निश्चित किया, लेकिन आदिवासियों की एक प्रथा थी की किसी भी अच्छे कार्य से पहले निर्दोष जानवरों की बलि दी जाती थी। इसी प्रथा को पूरा करने के लिये इनके पिता शबरी के विवाह के एक दिन पूर्व सौ भेड़ बकरियाँ लेकर आये। तब शबरी ने पिता से पूछा – पिताजी इतनी सारी भेड़ बकरियाँ क्यूँ लाये ?  पिता ने कहा – शबरी यह एक प्रथा है जिसके अनुसार कल प्रातः तुम्हारी विवाह की विधि शुरू करने से पूर्व इन सभी भेड़ बकरियों की बलि दी जायेगी। यह कहकर उसके पिता वहाँ से चले जाते हैं। प्रथा के बारे में सुन शबरी को बहुत दुःख होता है और वो पूरी रात उन भेड़ बकरियों के पास बैठी रही और उनसे बाते करती रही। उसके मन में एक ही विचार था कि कैसे वो इन निर्दोष जानवरों को बचा पाये। तब ही एकाएक शबरी के मन में ख्याल आता है और वो सुबह होने से पूर्व ही अपने घर से भाग कर जंगल चली गई जिससे वो उन निर्दोष जानवरों को बचा सके। शबरी भली भांति जानती थी, अगर एक बार वो इस तरह से घर से जायेगी तो कभी उसे घर वापस आने का मौका न

संत कबीर जी

                                                                 संत कबीर जी किसी राजा ने संत कबीर जी से प्रार्थना की किः "आप कृपा करके मुझे संसार बन्धन से छुड़ाओ।" कबीर जी ने कहाः "आप तो धार्मिक हो... हर रोज पंडित से कथा करवाते हो, सुनते हो..." "हाँ महाराज ! कथा तो पंडित जी सुनाते हैं, विधि-विधान बताते हैं, लेकिन अभी तक मुझे भगवान के दर्शन नहीं हुए हैं... अपनी मुक्तता का अनुभव नहीं हुआ। आप कृपा करें।" "अच्छा मैं कथा के वक्त आ जाऊँगा।" समय पाकर कबीर जी वहाँ पहुँच गये, जहाँ राजा पंडित जी से कथा सुन रहा था। राजा उठकर खड़ा हो गया क्योंकि उसे कबीर जी से कुछ लेना था। कबीर जी का भी अपना आध्यात्मिक प्रभाव था। वे बोलेः "राजन ! अगर कुछ पाना है तो आपको मेरी आज्ञा का पालन करना पड़ेगा।" "हाँ महाराज !" "मैं आपके तख्त पर बैठूँगा। वजीर को बोल दो कि मेरी आज्ञा का पालन करे।" राजा ने वजीर को सूचना दे दी कि अभी ये कबीर जी राजा है। वे जैसा कहें, वैसा करना। साहेब कबीर जी ने कहा कि एक खम्भे के साथ राजा को बाँधो और दूसरे खम्भे के साथ पंडित

ॐ जय शिव ओंकारा

                                                     ॐ जय शिव ओंकारा यह वह प्रसिद्ध आरती है जो देश भर में शिव-भक्त नियमित गाते हैं.. लेकिन, बहुत कम लोग का ही ध्यान इस तथ्य पर जाता है कि... इस आरती के पदों में ब्रम्हा-विष्णु-महेश तीनो की स्तुति है.. एकानन (एकमुखी, विष्णु),  चतुरानन (चतुर्मुखी, ब्रम्हा) और पंचानन (पंचमुखी, शिव) राजे.. हंसासन (ब्रम्हा) गरुड़ासन (विष्णु ) वृषवाहन (शिव) साजे.. दो भुज (विष्णु), चार चतुर्भुज (ब्रम्हा), दसभुज (शिव) अति सोहे.. अक्षमाला (रुद्राक्ष माला, ब्रम्हाजी ), वनमाला (विष्णु ) रुण्डमाला (शिव) धारी.. चंदन (ब्रम्हा ), मृगमद (कस्तूरी विष्णु ), चंदा (शिव) भाले शुभकारी (मस्तक पर शोभा पाते हैं).. श्वेताम्बर (सफेदवस्त्र, ब्रम्हा) पीताम्बर (पीले वस्त्र, विष्णु) बाघाम्बर (बाघ चर्म ,शिव) अंगे.. ब्रम्हादिक (ब्राह्मण, ब्रह्मा) सनकादिक (सनक आदि, विष्णु ) प्रेतादिक (शिव ) संगे (साथ रहते हैं).. कर के मध्य कमंडल (ब्रम्हा), चक्र (विष्णु), त्रिशूल (शिव) धर्ता.. जगकर्ता (ब्रम्हा) जगहर्ता (शिव ) जग पालनकर्ता (विष्णु).. ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (अविवेकी लोग इन तीनो को

सकारात्मक सोच

                              सकारात्मक सोच पढ़ने के लिए  आप सभी     का हार्दिक धन्यवाद

वक्त वक्त वक्त की बात

                                वक्त वक्त वक्त की बात   पढ़ने के लिए  आप सभी     का हार्दिक धन्यवाद

Belief in the world

                           Belief in the world   Thank You

Imagine Knowledge Power

               Imagine Knowledge Power  

Good Imagination

                                                                                          Good Imagination

Think Nice

 

लक्ष्मी व्रत की विधि, कथा और महात्मय

                        लक्ष्मी व्रत  की  विधि, कथा और महात्मय सुख, शांति, वैभव और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत करने का नियम: 👉 यह व्रत सौभाग्यशाली स्त्रियां करें तो उनका अति उत्तम फल मिलता है, पर घर में यदि सौभाग्यशाली स्त्रियां न हों तो कोई भी स्त्री एवं कुमारिका भी यह व्रत कर सकती है। स्त्री के बदले पुरुष भी यह व्रत करें तो उसे भी उत्तम फल अवश्य मिलता है। खिन्न होकर या बिना भाव से यह व्रत नहीं करना चाहिए।  👉 यह व्रत किसी भी मास के शुल्क पक्ष प्रथम शुक्रवार से आरम्भ किया जाता है। व्रत शुरु करते वक्त 11 या 21 शुक्रवार का  संकल्प करना चाहिये और बताई गई शास्त्रीय विधि अनुसार ही व्रत करना चाहिए। संकल्प के शुक्रवार पूरे होने पर विधिपूर्वक और बताई गई शास्त्रीय रीति के अनुसार उद्यापन करना चाहिए।  👉  माता लक्ष्मी देवी के अनेक स्वरूप हैं। उनमें उनका ‘धनलक्ष्मी’ स्वरूप ही ‘वैभवलक्ष्मी’ है और माता लक्ष्मी को श्रीयंत्र अति प्रिय है। व्रत करते समय माता लक्ष्मी के विविध स्वरूप यथा श्रीगजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयलक्ष्मी, श्री ऐश्वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष